"आई है कयामत"
"आई है कयामत"
आज आई है कयामत , तो कल बहार भी आएगी
आशा की कोई किरण , फिर से जगमगाएगी ।
ये कयामत ही तुझे इक दिन , राह नई दिखाएगी
जीवन की हर खुशी से , तुझको मिलाएगी ।
तो फिर न हार कर यूं बैठ तू , हिम्मत से आगे बढ़ तू,
जो न किया अभी तक , वो कार्य कोई कर तू ।
हार के बाद ही तो , जीत का मज़ा है
जीवन की इस रीत को , भूल क्यूं गया तू ।
न यूं निढाल हो तू , न आस कोई खो तू,
मिल जाएगी डगर नई , शुरुआत कोई कर तू ।
बंद हों सभी दरवाजे , चहुं ओर हो अंधेरा
न धैर्य अपना खो तू , कदम नया बढा तू ।
जो जीर्ण क्षीर्ण विचार हैं , उनको परे हटा तू
कयामत के इस दौर में , इक सोच नई ला तू ।
ये जीवन अनमोल है, न इसको यूं घुला तू
यूं बैठ के थक हार कर , समय अपना न गंवा तू ।
दुनियां की हर कयामत , गवाह है नई शुरुआत की
फिर होके क्यूं हताश तू , क्यूं बैठा है उदास तू ।
गर ठानेगा कुछ करने की, तभी तो कर सकेगा तू
नहीं तो बस कायामतों के , जाल में हीं फंसा रहेगा तू ।
न आएगी कयामत , कभी इस संसार में
तो क्या कोई करेगा , प्रभु को याद खुशहाल में ।
क्यूं जान कर अंजान है , इस सर्व विदित सत्य से
प्रत्येक कयामत का , निदान है समाधान है ।।
स्वरचित \'मौलिक\'
कविता गौतम✍️
#लेखनी
#लेखनी कविता
Kaveri Lily
22-Sep-2021 12:30 PM
बहुत बढ़िया आशा जगाती रचना कविता गौतम जी❤️
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Kavita Gautam
24-Sep-2021 02:09 PM
धन्यवाद मैम 🙏
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Gunjan Kamal
22-Sep-2021 11:50 AM
शानदार प्रस्तुति 👌👌
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Kavita Gautam
24-Sep-2021 02:09 PM
धन्यवाद मैम🙏
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UDtheFriend
22-Sep-2021 11:44 AM
बहतरीन.... उम्दा
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Kavita Gautam
24-Sep-2021 02:10 PM
धन्यवाद सर 🙏
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