Kavita Gautam

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"आई है कयामत"

"आई है कयामत"


आज आई है कयामत , तो कल बहार भी आएगी
आशा की कोई किरण , फिर से जगमगाएगी ।

ये कयामत ही तुझे इक दिन , राह नई दिखाएगी
जीवन की हर खुशी से , तुझको मिलाएगी ।

तो फिर न हार कर यूं बैठ तू , हिम्मत से आगे बढ़ तू,
जो न किया अभी तक , वो कार्य कोई कर तू ।

हार के बाद ही तो , जीत का मज़ा है
जीवन की इस रीत को , भूल क्यूं गया तू ।

न यूं निढाल हो तू , न आस कोई खो तू,
मिल जाएगी डगर नई , शुरुआत कोई कर तू ।

बंद हों सभी दरवाजे , चहुं ओर हो अंधेरा
न धैर्य अपना खो तू , कदम नया बढा तू ।

जो जीर्ण क्षीर्ण विचार हैं , उनको परे हटा तू
कयामत के इस दौर में , इक सोच नई ला तू ।

ये जीवन अनमोल है, न इसको यूं घुला तू
यूं बैठ के थक हार कर , समय अपना न गंवा तू ।

 दुनियां की हर कयामत , गवाह है नई शुरुआत की 
फिर होके क्यूं हताश तू , क्यूं बैठा है उदास तू ।

गर ठानेगा कुछ करने की, तभी तो कर सकेगा तू
नहीं तो बस कायामतों के , जाल में हीं फंसा रहेगा तू ।
 
न आएगी कयामत , कभी इस संसार में
तो क्या कोई करेगा , प्रभु को याद खुशहाल में ।

क्यूं जान कर अंजान है , इस सर्व विदित सत्य से
प्रत्येक कयामत का , निदान है समाधान है ।।

स्वरचित \'मौलिक\'
कविता गौतम✍️

#लेखनी
#लेखनी कविता


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9 Comments

Kaveri Lily

22-Sep-2021 12:30 PM

बहुत बढ़िया आशा जगाती रचना कविता गौतम जी❤️

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Kavita Gautam

24-Sep-2021 02:09 PM

धन्यवाद मैम 🙏

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Gunjan Kamal

22-Sep-2021 11:50 AM

शानदार प्रस्तुति 👌👌

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Kavita Gautam

24-Sep-2021 02:09 PM

धन्यवाद मैम🙏

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UDtheFriend

22-Sep-2021 11:44 AM

बहतरीन.... उम्दा

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Kavita Gautam

24-Sep-2021 02:10 PM

धन्यवाद सर 🙏

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